सरल जिन-वन्दना

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रचनाकार: डॉ. कैलाश परवाल ‘सरल’
पहली बार एक साथ 24 तीर्थंकरों पर काव्य माला
संगीतमय ऑडियो एवं किताब में उपलब्ध

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Description

सृष्टि के प्रादुर्भाव से ही जैन धर्म का बीज पृथ्वी में जन्म ले चुका था जो अंकुरित होकर आज एक विशाल वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है। प्रथम तीर्थंकर श्री 1008 आदिनाथ भगवान से लेकर 24वें तीर्थंकर श्रीमहावीर स्वामी ने अपने अपने समय में इस धर्म के सिद्धान्तों को पूरे विश्व में फैलाया। करूणा, क्षमा, अपरिग्रह, अहिंसा आदि के सन्देशों का न केवल जैन मतावलम्बियों ने लाभ उठाया है, अपितु अन्य धर्मावलम्बियों ने भी इनको अपनाया है। सभी चौईस तीर्थंकरों का संक्षिप्त परिचय एक ही काव्य माला में मैंने पिरोने का कार्य किया है।

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रचनाकार:

डॉ. कैलाश परवाल ‘सरल’

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पहली बार एक साथ 24 तीर्थंकरों पर काव्य माला
संगीतमय ऑडियो एवं किताब में उपलब्ध
19 पृष्ठ