श्रीकृष्णम

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भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से प्रकटी सुपावन गीता के उक्त शब्दों का भाव यह है कि जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और पाप बढ़ता है तब तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में धर्म की पुनः स्थापना के लिये अवतार लेते हैं।

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Description

द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार योगेश्वर श्रीकृष्ण सम्पूर्ण लीलाओं सहित सम्पूर्ण भगवान माने जाते हैं। भारतवर्ष में अनेक रूपों में एवं अनेक नामों से उनको पूजा जाता है। कहीं गोपाल, कहीं कन्हैया, कहीं विठ्ठल, कहीं रणछोड़दास आदि। भगवान श्रीकृष्ण की कथा प्रसंगों को किसी एक काव्य ग्रन्थ में किसी भी भाषा में आज तक नहीं लिखा गया था। इस रिक्तता को भरने एवं भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, मैंने श्रीकृष्णम् नाम से काव्य ग्रन्थ की रचना की है। जिसका औपचारिक रूप से अनावरण किया जाना है।

Additional information

रचनाकार:

डॉ. कैलाश परवाल ‘सरल’

About Book

6000 से अधिक दोहे तथा चौपाई
150 से अधिक रंगीन पृष्ठ
700 पृष्ठों की पवित्र पुस्तक
(पाठ करने योग्य सरल हिन्दी भाषा में)