By K C Parwal

श्री कैलाश चन्द्र परवाल

यह निर्विवाद सत्य है कि आज देश की 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या हिन्दी पढ़ सकती है और समझ सकती है। ऐसे में संस्था के ट्रस्टी श्री कैलाश चन्द्र परवाल ‘सरल’ ने ‘सरल रामायण’ के नाम से ख्याति प्राप्त विश्व के प्रथम हिन्दी काव्य-ग्रन्थ को रचने/लिखने का गौरव प्राप्त किया है। श्री परवाल को अभी हाल ही में राजस्थान सरकार द्वारा 15 अगस्त, 2018 को जयपुर में राजकीय समारोह में राज्य स्तरीय पुरस्कार/प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया है।

श्री कैलाश चन्द्र परवाल जयपुर शहर में पिछले 35 वर्षों से चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट के रूप में कार्य करने के साथ ही धार्मिक किताबों का काव्य रूप में सरलीकृत लेखन कर जनमानस के धार्मिक मूल्यों की वद्धि एवं सृजन की अप्रतिम मुहिम में जुड़े हुए है।

श्री परवाल स्वयं विभिन्न प्रकार के सामाजिक एवं साहित्यिक कार्यों से जुड़े हुये हैं। श्री परवाल एवं उनसे जुड़े साहित्यिक एवं सामाजिक कार्यों मे से कुछ का वर्णन निम्न प्रकार है:-

साहित्यिक कार्य: -

1. रामायण – सरल रामायण का साहित्यिक स्वरुप एक महाकाव्य का है जिसमें मूल कथा यद्यपि ‘रामचरित मानस’ की है तथापि कुछ नई योजनायें भी कृतिकार द्वारा इसमें जोड़ी गई हैं। सात काण्डों में रचित यह काव्य दोहे और चौपाइयों में मानस की शैली में प्रस्तुत की गई है। रचना की विशेषता यह है कि वर्तमान में हिन्दी जगत में बोली जाने वाली खड़ी बोली में सृजित है। भाषा की सरलता इसके नाम को सार्थकता प्रदान करती है। रचना निसंदेह राम कथा का नूतन सृजन है।

यह रचना वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए राम कथा से जुड़ने का उपयुक्त माध्यम बनती जा रही है। भाषा सरल है, खड़ी बोली का स्वरूप होने के कारण यह युवा वर्ग को निश्चित ही स्वीकार्य रहेगी।

श्री परवाल की इस कृति की उपादेयता को ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार ने सभी माध्यमिक विद्यालयों एवं सभी संस्कृत विद्यालयों / महाविद्यालयों में इसकी प्रति रखे जाने की अनुशंसा की है।

2. श्रीकृष्णम् – सरल विरचित ”रामायण” के प्रति भक्तों के अत्यधिक उत्साह एवं उनके द्वारा रचनाकार को दिये गये आशीर्वाद से प्रेरित होकर ”सरल” ने भगवान विष्णु के अगले अवतार श्रीकृष्ण पर काव्य ग्रन्थ ”श्रीकृष्णम्” लिखना प्रारम्भ किया। यह पावन ग्रन्थ रामनवमी, 2017 से प्रारम्भ किया जाकर जन्माष्टमी, 2019 के शुभ दिवस पर पूर्ण हुआ है, जिसमें 8000 से अधिक दोहे एवं चौपाइयाँ तथा 25 से अधिक अन्य गीत हैं। रामायण की भाँति ही श्रीकृष्णम् भी हिन्दी भाषी साहित्य प्रेमियों एवं भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिये अत्यधिक लाभप्रद होगी। निश्चित ही इस पावन ग्रन्थ माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के विविध आयामों से भक्तजन एवं विशेषकर नई पीढ़ी प्रेरणा लेगी।

3. अन्य काव्य रचनायें:- लेखक द्वारा सत्यनारायण भगवान की कथा को भी खड़ी बोली में पहली बार काव्यबद्ध किया गया है।

लेखक द्वारा रचित भगवान श्री कृष्ण के भजनों की ऑडियो सीडी ‘ कान्हो जैपर में आयो’ अत्यधिक लोकप्रिय है

लेखक द्वारा ‘गीता मनका-108’ शीर्षक के अंतर्गत गीता के सभी 18 अध्यायों के सार / महत्वपूर्ण श्लोकों को हिन्दी में 108 दोहो में कविता-बद्ध किया गया हैं। जिन वन्दना एवम् हनुमत चौबिसा लेखक के अन्य काव्य है।

ब्नततमबज ।ििंपते रू. डॉ. परवाल सामयिक विषयों पर भी अपनी कविता लिखते रहते हैं। उनकी हालिया कविताओं में (1) ‘कश्मीर के अलगाव वादियों का हृदय परिवर्तन’ और (2) आतंकवादियों द्वारा पेशावर के स्कूल के निर्दोष बच्चों की हत्या की घटनाओं को कवर करने वाली मार्मिक कविता, (3) गलवान घाटी में भारतीय सेना का शोर्य और बलिदान” व्हाट्सअप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हो गई हैं।

लेखक द्वारा राजस्थान के भवन निर्माण सम्बधित विभिन्न नियम-उपनियमों की संकलित एवं अंग्रेजी भाषा में अनुवादित पुस्तक ‘ए रेफरेंसर ऑन जयुपर बिल्डिंग लॉज’ सम्बन्धित लोगों/संस्थाओं में बहुत ही लोकप्रिय हुई हैं। इस पुस्तक के समय समय पर अपडेटेड व नवीन संस्करण भी मुद्रित एवं प्रकाशित होते रहते है।

5. सामाजिक कार्य
(1) शिक्षा के क्षेत्र में

1.1 श्री कैलाश परवाल के पिता श्री बंशीधर परवाल ने अपने जिला सीकर स्थित पैतृक ग्राम में प्रथम महिला राजकीय संस्कृत कॉलेज का निर्माण करवाया, जिसकी परिकल्पना, क्रियान्वयन एवं अन्य जुड़े हुए कार्यो में सम्पूर्ण सक्रियता श्री कैलाश परवाल द्व्रारा दिखाई गई।

1.2 जयपुर शहर में कार्यरत जागृति नाम से एक बड़ी संस्था हैं जिसके परामर्श मंडल में श्री कैलाश परवाल कई वर्षो से अपनी भूमिका सिद्ध करते आ रहे हैं। यह संस्था गरीब एवं कच्ची बस्ती के बच्चों की शिक्षा विकास में कार्यरत हैं और इस संस्था के माध्यम से शहर की दर्जनों जीर्ण-शीर्ण विद्यालयों का समुचित नवनिर्माण, छात्रों के लिए नये गणवेश, टेबल कुर्सियाँ, बैग्स एवं दिन के भोजन की सुनिश्तिता की जाती हैं।

1.3 निर्धन छात्रों को आर्थिक सहायता कैलाश परवाल नियमित रूप से ऐसे होनहार छात्रों को (जिनके माता पिता आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हांे) को उनकी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुये, उनकी पढ़ाई का ख़र्च देते रहते हैं। वंचित छात्रों हेतु शिक्षा में श्री परवाल की रुचि को देखते हुए अभी हाल ही में ‘नचिकेता गुरुकुल’ के नाम से गठित संस्था में उनको एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है।

(2) अन्य सामाजिक क्षेत्रों में

2.1 निर्धन एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन वस्त्र आदि के वितरण में भी कैलाश परवाल अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहते हैं।

2.2 श्री परवाल द्वारा गठित संस्था सैण्ट्रल पार्क वॉकर्स एसोसियेशन के माध्यम से स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। इस अभियान के माध्यम से जन मानस को उनकी पर्यावरण एवं स्वच्छ भारत अभियान के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में सचेत किया जाता है।

2.3 परवाल द्वारा समय समय पर भिन्न भिन्न संस्थाओं के माध्यम से रक्दान शिविरों में जन सहभागिता जागृत कर रक्तदान से होने वाले लाभों को बताया जाता है। इसी प्रकार स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के लिये मेडीकल कैम्प भी लगाये जाते हैं।

2.4 कैलाश परवाल द्वारा वर्तमान कोरोना काल में विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से वंचित लोगो का खाद्य सामग्री एवं भोजन व्यवस्था उपलब्ध कराने का कार्य किया है।

3. अन्य उपलब्धियाँ

3.1 परवाल विभिन्न विषयों पर मुख्य वक्ता/ गेस्ट स्पीकर आदि के रूप में अपने सम्बोधन से भिन्न भिन्न लोगों को, समूहों को एवं भिन्न भिन्न मंचों पर अपने विचारों से अवगत करा चुके हैं।

3.2 श्री परवाल के साक्षात्कार आकाशवाणी, दूरदर्शन, ईटीवी, भास्कर टीवी, संस्कार टीवी, डी.डी. भारती (शब्द यात्रा) आदि पर अनेक बार प्रसारित हो चुके हैं।

3.3 श्री परवाल को उनके कार्यों एवं उपलब्धियों के कारण देश विदेश में अनेक बार सम्मानित किया जा चुका है।

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