मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम युगों-युगों से जन-मानस में रचे बसे हैं। प्रभु श्रीराम की महिमा का गान महादेव शिव से लेकर जन-सामान्य तक एवं तब से आज तक, सभी के मन में एक नई शक्ति, नई ऊर्जा एवं नई चेतना का संचार करता रहा है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘साकेत’ में लिखा हैः-