सत्य को नारायण विष्णु जी के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से भगवान का सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है।
यह कथा सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करने वाली, सभी प्रकार से अपनी उपयोगिता सिद्ध करती है। काव्य की रचना करते समय सभी आयु वर्ग के पाठकांे की रुचि को ध्यान में इस प्रकार रखने का प्रयास किया गया है कि अधिक से अधिक लोग इसका आध्यात्मिक लाभ ले सकें।
श्रीसत्यनारायण भगवान की कथा हिन्दु धर्मावलंबियों के लिए जानी-मानी कथा है। संम्पूर्ण भारत में इस कथा और व्रत का नियमित पालन व पारायण करते है।