गलवान धांटी

भारत माँ के वीर सपूतों, की गाथा बलिदान की।
रंगी हुई है आज रक्त में, घाटी ये गलवान की।।

चीनी धोखेबाज हजारों, तैयारी से आये थे।
तार नुकीले कील हथौड़े, दुष्ट साथ में लाये थे।।
कपटी दुश्मन बिना बताए, बैठे घात लगाए थे।
भारत माँ के लाल बाँकुरे, शांति अलख जगाए थे।

पीछे से जब हुआ आक्रमण, बारी थी बलिदान की।
रंगी हुई है आज रक्त में, घाटी ये गलवान की।।

सँभल गए थे लाल हमारे, अवसर नहीं गँवाया था।
भारत माँ के जयकारे से, अपना जोश बढ़ाया था।।
एक एक दस दस पर भारी, ऐसा मा चखाया था।
पकड़ पकड़ कर गर्दन मोड़ी, यम कं घर पहुँचाया था।।
प्राण गँवाकर भी रक्षा की, अपने हिन्दुस्तान की।
रंगी हुई है आज रक्त में, घाटी से गलवान की।।

खींचे लहु से लक्ष्मण रेखा, एलएसी एलोसी पर।
घोष उधर की रावण को ये, बुरी नजर मत डाल इधर।।
ऋषि मुनियों की पावन धरती, की संताने वीर निडर।
कुरुक्षेत्र कट्ट धर्मक्षेत्र है, गीता की सन्देश अमर।।

धूल चटा दे दुश्मन को हम, कसम हमें भगवान की।
रंगी हुई है आज रक्त में, घाटी ये गलवान कट्ट।।

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