गीता मनका-108

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काव्य की रचना करते समय ज्ञान, कर्म और भक्ति का पूर्णतः ध्यान में रखा गया है पाठकों की रूचि को ध्यान में रखकर ही श्लोकों और दोहों की रचना काव्यबद्ध रूप में किया गया। सभी वर्गों के पाठकों की रूचि का इसमें ध्यान रखा गया है।

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Description

कुरूक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने रण से विमुख हो रहे अर्जुन को जो उपदेश दिये वो मूलतः संस्कृत भाषा के सात सौ श्लोकों में वर्णित हैं। इन उपदेशों को संकलित रूप से गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश आज भी किसी भी अवसर पर एवं विश्व के किसी भी स्थान पर उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे द्वापर युग में कुरू़क्षेत्र में प्रासंगिक थे। 18 अध्यायों में निरूपित इन उपदशों के सार को मैंने हिन्दी भाषा के 108 दोहों (मनकों) में पिरोया है। जिसका लाभ साधारण हिन्दी भाषियों को प्राप्त हो सके।

Additional information

रचनाकार:

डॉ. कैलाश परवाल ‘सरल’

About Book

गीता के समस्त 18 अध्यायों का हिन्दी काव्य में सार
संगीतमय ऑडियो एवं किताब में उपलब्ध
108 दोहे
19 सार
46 पृष्ठों की पवित्र पुस्तक