Description
कुरूक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने रण से विमुख हो रहे अर्जुन को जो उपदेश दिये वो मूलतः संस्कृत भाषा के सात सौ श्लोकों में वर्णित हैं। इन उपदेशों को संकलित रूप से गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश आज भी किसी भी अवसर पर एवं विश्व के किसी भी स्थान पर उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे द्वापर युग में कुरू़क्षेत्र में प्रासंगिक थे। 18 अध्यायों में निरूपित इन उपदशों के सार को मैंने हिन्दी भाषा के 108 दोहों (मनकों) में पिरोया है। जिसका लाभ साधारण हिन्दी भाषियों को प्राप्त हो सके।